lion and hare story hindi: बहुत बड़ा जंगल था। जंगल बहुत ही पेड़ों से लदा हुआ था। लगता था कि मानो जंगल अभी बोलने लगेगा। जंगल में एक राजा था शेर, जिसका नाम भसुरका था ।

शेर की आदत:
शेर को हर दिन एक प्राणी की खाने के लिए जरूरत पड़ती थी मगर शेर एक दिन में बहुत प्राणियों का शिकार करता था। फिर किए गए शिकार में से सिर्फ एक ही प्राणी को खाता था।
इस आदत से परेशान जंगल के सभी प्राणी ने एक दिन सोचा कि इसका कुछ निर्णय होना चाहिए। इस बात को लेकर जंगल के सभी प्राणी एक जगह इकट्ठा होते हैं और सोचते हैं इसका हल क्या किया जाए।
बाद में सभी प्राणी शेर के पास जाते हैं और नम्रता पूर्वक कहते हैं,” महाराज राजा का कर्तव्य तो प्रजा का रक्षण करना है,प्रजा का नाश करना नहीं। आप बिना कारण कितने प्राणियों को मारते हैं,
अगर आप अपनी गुफा में ही रहेंगे तो हम लोग रोज एक प्राणी को आपकी गुफा में भेजेंगे। जिसका शिकार करके आप खा सकते हैं।”
राजा शेर बहुत ही आसानी से मान गया और बाद में शिकार करने बाहर नहीं निकलता था और ज्यादा प्राणी मारे नहीं जाते थे। थोड़े दिन तो यह बहुत अच्छे से चला कि रोज सभी प्राणियों में से एक प्राणी गुफा में जाता था।
शेर उसका शिकार करता था और बाकी के प्राणी बच जाते थे।
खरगोश का दिमाग:
अब नंबर लगा खरगोश का जो शिकार के लिए शेर की गुफा में जाने वाला था।खरगोश शेर गिफ की ओर धीरे-धीरे चलने लगा। रास्ते में खरगोश ने एक कुआं देखा ।जिसे देखकर खरगोश को बहुत ही आश्चर्य हुआ, ,”अरे! यह क्या है, आगे जाकर जैसे ही खरगोश ने देखा कुएं मे तो खरगोश को अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया ।
खरगोश के दिमाग में एक युक्ति आती है। जिससे वह बच सके। खरगोश तो वहीं पर रुक गया थोड़ी देर के बाद शेर की गुफा में जाता है।
भूख के कारण शेर का गुस्सा बढ़ रहा था। शेर अचानक चिल्लाता है ,अरे! एक तो तू छोटा है, तू मेरा पेट भी नहीं भर सकता और देर से भी आया ।अब मै तुम्हारे साथ जंगल के सभी प्राणियों को मार डालूंगा।”
खरगोश एकदम डर जाता है और बहुत ही प्यार से बोलता है,”महाराज मुझ पर गुस्सा मत करिए। जंगल के प्राणियों को पता है कि मैं बहुत छोटा सा हूं ,मुझे खाकर आपका पेट नहीं भरेगा। इसीलिए मेरे साथ और तीन खरगोश को भेजा था।
मगर रास्ते में एक और आपके जैसा ही शेर हमें मिला वह शेर ने हमको कहा की ,”गुफा वाले शेर से में बड़ा हूं और शक्तिशाली हूं ।
“और यह भी कहा कि ,”इस जंगल का राजा तो मैं हूं वह गुफा में बैठे रहने वाला डरपोक शेर नहीं ।”
मेरे साथ जो तीन खरगोश थे तीनों को मार दिया और खा लिया ।
मुझे छोड़ दिया और कहा कि तू यह सभी बातें दूसरे राजा जो गुफा में बैठा रहता है डरपोक उसको जाकर बता। मैं जल्दी भाग कर आपके पास आया।
शेर की अक्ल:
शेर आराम से सभी बातें सुन रहा था। थोड़ी देर कुछ नहीं बोला फिर एकदम गुस्सा होकर बोला,” मुझे ले चलो दूसरे शेर के पास। मैं उसको मार कर जंगल का अकेला राजा बन जाऊंगा।”
खरगोश तो शेर को कुएं के पास ले जाता है शेर ने कुएं में देखा तो पानी में अपना ही प्रतिबिंब देखकर शेर को लगा कि कुएं में तो दूसरा शेर है ।तभी शेर ने बड़ी मोटी आवाज से चिल्लाया तो सामने से कुएं में भी इको साउंड की आवाज आई।
आवाज आते ही शेर कुएं में दूसरे शेर को मारने के लिए कूद गया इस तरह शेर का अंत हुआ खरगोश बहुत ही खुश हुआ और जंगल के सभी प्राणियों को यह बात बताई सभी प्राणियों ने मिलकर खरगोश को बधाई दी और सभी ने मिलकर खुशी मनाएं।
कहानी से सीख:
हमारे सामने कई बार ऐसी घटनाएं घटती है कि अगर हम सोचे नहीं तो हमारा नुकसान ही हो जाए। हमे ऐसी बातों को पहले ही सोच लेना चाहिए और आराम से कोई भी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
जैसे कि शेर ने खरगोश की बात तुरंत ही मान ली और बिना सोचे समझे कि एक और शेर कहां से आ गया। कुएं में बिना सोचे समझे गिर गया।हमारे पास दिमाग है तो थोड़ा उससे भी हमें काम लेना चाहिए वरना शेर की तरह बिना सोचे समझे काम करने से हमारा परिणाम भी ऐसा ही होगा ।
अगर हमें कोई बात का पता नहीं हो तो उस बात की तह तक जाकर फिर कोई निर्णय लेना चाहिए। यह नहीं कि हमने बस सुन लिया तो उसे पर हमें तुरंत काम लेना चाहिए।
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