जादुई पेड़ के फायदे और नुकसान- एक बहुत बड़ा जंगल था। जंगल में एक बहुत पुराना पेड़ था जो जादुई पेड़ था। यह पेड़ की खासियत थी कि पेड़ के पास जो भी कोई कुछ भी मांगे तो वह पेड़ तुरंत पूरा कर देता था । आइए जानते हैं जादुई पेड़ और एक आलसी आदमी की कहानी ।
इस जंगल के पास में एक गांव था और इस गांव में एक बहुत ही आलसी मनुष्य रहता था।जिसका नाम मोहन था। मोहन बैठे-बैठे ही कुछ भी कल्पना करता रहता था। काम करने की बजाय वह सिर्फ कल्पना ही करता रहता था कि ,ऐसा हो जाए, वैसा हो जाए ,मैं अमीर हो जाऊं, मुझे खाना मिल जाए।बस ऐसे कल्पना ही करता रहता था।
जब मोहन जंगल मे खो गया: शेर और लोमड़ी
एक दिन घूमते घूमते मोहन जंगल में चला जाता है और उसे बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलता। उसी समय वह जादुई पेड़ के पास पहुंच जाता है ।
पेड़ के पास पहुंच कर तुरंत मोहन कहता है कि ,”मै भूखा बैठा हूं मुझे अच्छा सा स्वादिष्ट भोजन मिल जाए तो बहुत मजा आए ।जादुई पेड ने तुरंत उसकी बात सुनकर वहां एक स्वादिष्ट भोजन का थाल रख देता है।

मोहन का आलस : एक आलसी चिड़िया की कहानी
मोहन को पेड़ के नीचे रहना बहुत ही अच्छा लगने लगता है। थोड़े दिन बाद मोहन पेड़ से करता है,” मुझे अच्छा सा महल बना दो जो सोने का हो।”
तुरंत ही पेड़ वह सुनकर सोने का अच्छा सा महल बना देता है जिसमें मोहन रहने लगता है। सुबह शाम कुछ ना कुछ मांगता रहता है ।कभी कपड़े मांगता है तो कभी स्वादिष्ट भोजन मांगता है।
ऐसे ही कुछ ना कुछ पेड़ से मांगता रहता है और पेड़ भी अच्छे से उसकी हर मनोकामना पूरी करता रहता है। मोहन जो भी मांगता है वह पेड़ उसको दे देता है।
गलत सोच का परिणाम गलत :
एक दिन की बात है।मोहन जब रात को सो रहा था तो एक सपना देखाता है। सपने में मोहन को शेर दिखाई देता है और मोहन अचानक से सोचने लगता है कि अगर जंगल में शेर आ गया।
तभी अचानक से जंगल में शेर के दहाड़ने की आवाज आने लगती है। अब मोहन सोचता है कि ,”यह शेर मेरे पास आ गया तो मैं क्या करूंगा?” तो दरवाजे के सामने ही शेर आ जाता है। जैसे ही शेर आता है, मोहन सोचने लगता है कहीं ,”यह शेर मुझे खो गया ?”तो तभी शेर हमला करता है और मोहन को मार डालता है और खा जाता है ।
इस तरह अंत तक जादुई पेड़ मोहन की सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है। मोहन ने जो मांगा वह सब दिया महल मांगा तो पेड़ के नीचे महल भी अच्छा सा बन गया। जब मोहन मांगता तो खाना मिल जाता कपड़े मिल जाते। इसी तरह मोहन ने सोचा “शेर “का तो शेर भी आ गया और शेर ने मोहन को खा भी लिया इस तरह मोहन का अंत हो जाता है।
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कहानी की सीख :
हमें किसी के ऊपर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमारा काम हमें खुद करना चाहिए क्योंकि कोई भी मुश्किल कभी भी आ सकती है। अगर हम अच्छे से कार्य नहीं करेंगे तो उसका फल भी वैसा ही मिलेगा।
जैसे ही हमने अपना कर्म करना छोड़ दिया और बस भगवान पर ,जादुई शक्ति पर, कोई इंसान पर निर्भय रहे आश्रित रहे तो हमें भी मोहन की तरह ही शेर आकर खा जाएगा।शेर की बदले कोई समस्या कोई मुश्किल भी हो सकती है।