hindi moral story short : एक घने जंगल में बहुत सारे पक्षी और प्राणी रहते थे। उसी जंगल में एक चिड़िया ने अपना घोंसला बनाया था। बड़े से घने पेड़ के ऊपर चिड़िया आराम से रहती थी। चिड़िया को रोज खाने के लिए खुराक खोजने जाना पड़ता था।
इस बात से चिड़िया बहुत दुखी थी। सोचती थी कि,” मुझे यहीं पर कोई खाना दे देता तो कितना अच्छा रहता। मुझे कहीं घूमना नहीं पड़ता और मैं थक नहीं जाती। मेरे पांव थकते नहीं।”यह सोच कर दुखी हो रही थी।

चिड़िया को अपना ही नहीं अपने तीन बच्चों का भी पेट भरना था। तीन छोटे-छोटे बच्चों के लिए भी चिड़िया खाना खोजने जाती थी। चिडिया बहुत थक जाती थी क्योंकि कभी दूर दूर तक चिड़िया को खुराक के लिए जाना पड़ता था। 1 दिन की बात है चिड़िया जिस पेड पर अपना घोसला बनाकर रहती थी वह पेड़ एक जादुई पेड़ था । ये भी आपको पसंद होगा – नागराज और चींटियाँ
चिडियाँ की आलस: VERY SHORT STORY
पेड का जादू:
पेड़ कहता है कि ,” मैं तुम्हें पेड़ पर ही बैठे-बैठे खाना दूंगा पर उसके लिए तुम्हें अपना एक पंख मुझे देना पड़ेगा। अगर तुम एक पंख मुझे दोगी तो मैं तुम्हें खाना दूंगा और जिस दिन तुमने एक पंख नहीं दिया उस दिन मैं तुम्हें खाना नहीं दूंगा।”
चिड़िया तो बहुत खुश हो जाती है और कहती है,” मैं तुम्हें रोज एक पंख दूंगी पर मुझे खाना दे ना।”
इसके बाद तो चिड़िया को कहीं खाना खोजने जाना ही नहीं पड़ता था।पेड रोज उसको खाना देता और बदले मैं चिड़िया उसको रोज एक पंख देती। ये भी आपको पसंद होगा – शेर और खरगोश की सुपर कहानी
आलस का फल:
चिड़िया ऐसे ही रोज एक पंख देती रहती थी। जिसके कारण एक दिन ऐसा आया की चिड़िया के शरीर पर एक भी पंख नहीं रहा। अब चिड़िया ना उड़ सकती थी ना कहीं जा सकते थी।बस घोसले में ही बैठी रहती थी।
दूसरे दिन जब चिडियाँ पेड़ को कहती है कि,“मुझे खाना दो।”
पेड़ तुरंत ही कहता है,” पहले पंख दो तभी मैं खाना दूंगा ।”
चिड़िया कहते हैं ,“मेरे पास पंख तो नहीं है सभी पंख मैंने तुम्हें दे दिए।”
तब पेड़ कहता है ,”तो मैं भी खाना भी नहीं दूंगा, क्योंकि मैंने पहले ही तुम्हें बोल दिया था कि जब तुम मुझे पंख दोगी तो ही मैं खाना दूंगा।”
अब चिड़िया बहुत ही उदास हो जाती है और कई दिन भूखे रहने के कारण वह मर जाती है।
कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें यह सीखना चाहिए कि कोई काम करने में हमें आलस नहीं करनी चाहिए। काम चाहे जैसा भी हो हमें अपना कर्म करना चाहिए। अगर चिड़िया की तरह हम आलस करेंगे तो हम जिंदा नहीं रह सकते हमें मरना पड़ेगा। इससे अच्छा यह है कि हम अपना कम करें और आगे बढ़े उस में हमारी भलाई है।
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